लाइब्रेरी-साइन्स से जुड़े प्रोफेशनल्स लोगों से मैं एक सवाल पूछना चाहता हूँ,क्या एक फ्रेशर कि औकात रोज़ के कमाने वाले एक मज़दूर से भी गैरगुज़री हो गयी है,क्या एक फ्रेशर होना गुनाह है?या लाइब्रेरी-साइन्स में आना? आजकल प्राइवेट इन्स्टिटूशन में लोकलुभावनी नौकरियाँ भी निकलती हैं मासिक वेतन छठावेतनानुसार और देते कितना 4000-800 क्या एसोसिएशन्स कि कोई जि़म्मेदारी नही बनती कि एैसे इन्स्टिटूशनों पर लगाम कसी जाय जिससे समय रहते ही मजबूरी में लाइब्रेरी-साइन्स में आने वाले खुशी-खुशी इस प्रफेशन को चुनें अगर आपको लगता है कि यह सच है तो कृप्या अपनी राय व्यक्त करें।